Wednesday, June 10, 2020

The Holy Book Bible

 🏳 🏳   BIBLE    🏳 🏳

 इस दुनिया के सर्वाधिक जनसंख्या में अनुयाई वाला  ईसाई धर्म जो कि विश्व के अधिकांश देशों के का धर्म है , की पवित्र बुक “द होली बाइबल” से आप परिचित तो जरूर हुए होंगे।


आज मेरे  में ब्लॉग में जानेंगे इसी पुस्तक के कुछ महत्वपूर्ण एवं रोचक जानकारियों के बारे में......

1. पुरातत्वशास्त्र बाइबल की ऐतिहासिक यथार्थता का समर्थन करता है

पुरातत्वशास्त्र यह सिद्ध नहीं कर सकता है कि बाइबल हमारे लिए परमेश्वर का लिखा हुआ शब्द है। फिर भी, पुरातत्वशास्त्र बाइबल की ऎतिहासिक यथार्थता की पुष्टि करता है। पुरातत्वशास्त्रियों ने लगातार सरकारी अधिकारियों, राजाओं, शहरों, और बाइबल में बताए गए त्योहारों की खोज की है – विशेष रूप से तब जब इतिहासकारों को ऐसा लगा कि ये लोग और स्थान अस्तित्व में नहीं हैं। उदाहरणस्वरूप – यहुन्ना का सुसमाचार हमें बताता है, कि यीशु मसीह ने एक अपंग की चंगाई ‘बेथेस्डा के कुंड’ के बगल में की। पाठ में पाँच बरामदोंं (रास्तों) का भी वर्णन है जो कुंड की तरफ जाते थे। विद्वान यह नहीं मानते थे कि इस कुंड का कभी अस्तित्व था, जब तक कि पुरातत्ववेत्ताओं ने उसे जमीन से 40 फीट नीचे, पाँच बरामदों समेत पूर्ण नहीं पाया।

बाइबल में जबरदस्त मात्रा में ऎतिहासिक विवरण दिए गए हैं, कुछ ऎसे भी हैं जिनका विवरण बाइबल में है पर पुरातत्व शास्त्र उसे अभी तक खोज नहीं पाया है। हालांकि, पुरातत्ववेत्ताओं की किसी भी खोज में और बाइबल के अभिलेखों में कहीं कोई मतभेद नहीं है। 


बाइबल का इतिहास – बाइबल किसने लिखी?

बाइबल 40 लेखकों के द्वारा, 1500 साल की अवधि के दौरान लिखी गई। अन्य धार्मिक लेखों के विपरीत, बाइबल वास्तविक घटनाओं, स्थानों, लोगों और उनकी बातचीत का विवरण देती है जो यथार्थ में घटित हुए। इतिहासकारों और पुरातत्ववेत्ताओं ने बाइबल की प्रामाणिकता को बार–बार स्वीकारा है।

लेखकों के लिखने के तरीके और उनके व्यक्तित्व का प्रयोग करते हुए, परमेश्वर हमें बताता है कि वह कौन है और उसे जानने का अनुभव क्या होता है।

बाइबल के 40 लेखक, निरंतर एक ही प्रधान संदेश देते हैं: परमेश्वर, जिसने हमें रचा है, हमारे साथ एक रिश्ता रखना चाहता है। वह हमें उसे जानने के लिए और उसपर विश्वास करने के लिए कहता है। 

> बाइबल हमें केवल प्रेरित ही नहीं करती, बल्कि हमें जीवन और परमेश्वर के बारे में बताती है। हमारे सभी प्रश्नों के उत्तर ना सही, पर बाइबल पर्याप्त प्रश्नों के उत्तर देती है। यह हमें बताती है कि किस प्रकार एक उद्देश्य और अनुकंपा के साथ जिया जा सकता है। कैसे दूसरों के साथ संबंध बनाए रखे जा सकते हैं। यह हमें परमेश्वर की शक्ति, मार्गदर्शन और हमारे प्रति उसके प्रेम का आनन्द लेने के लिए हमें प्रोत्साहित करती है।

क्या बताते है पवित्र पुस्तक बाइबल में परमेश्वर के बारे में? 

हम सब पाप करते हैं, और हमारे पापों ने ही हमें परमेश्वर से अलग किया है।
>> हम उस अलगाव को, जो कि हमें परमेश्वर से दूर करता है, अपने पापों की वजह से महसूस करते हैं। बाइबल हमें बताती है, “हम तो सब के सब भेड़ों की तरह भटक गए थे; हम में से हर एक ने अपना अपना मार्ग ले लिया।”
हमारे दिल की गहराई में, परमेश्वर और उसके तरीकों के प्रति हमारा रवैया शायद एक सक्रिय विद्रोह या फिर एक निष्क्रिय उदासीनता की तरह है। लेकिन ये सब उसी का प्रमाण है जिसे बाइबल पाप कहती है।

हमारे जीवन में पाप का परिणाम मृत्यु है -- यानी के, परमेश्वर से आत्मिक अलगाव। हालांकि हम अपने प्रयत्न से परमेश्वर के करीब जाने की कोशिश तो करते हैं, पर हम अनिवार्य रूप से असफल होते हैं। क्योंकि हमारा रास्ता ही गलत होता है ।

परमेश्वर और हमारे बीच एक बहुत बड़ा फासला है। हम किस तरह से अपने प्रयत्नों से परमेश्वर तक पहुँचना चाहते हैं…दूसरों के प्रति अच्छे काम कर के, धार्मिक रसम रिवाज कर के, अच्छा मनुष्य बनने का प्रयास करके, इत्यादि। पर समस्या यह है कि हमारे हर अच्छे से अच्छे प्रयास भी हमारे पापों को छिपाने में, या उन्हें मिटाने में अपर्याप्त होते हैं।

>>> परमेश्वर हमारे पाप को जनता है, और यह पाप एक बाधा के समान उनके और हमारे बीच में खड़ा हो जाता है। और, बाइबल कहती है की पाप की सज़ा मृत्यु है जिसकी वजह से हम अनंतकाल के लिए परमेश्वर से अलग हो जाते हैै।


“पवित्र बाईबल में सृष्टि रचना का प्रमाण”

पवित्र बाईबल ने प्रमाणित किया है कि कौन तथा कैसा है सृष्टि रचनहार तथा उसका वास्तविक नाम क्या है।

पवित्रा बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ पृष्ठ नं. 2 पर, अ. 1ः20 - 2ः5 पर)
छटवां दिन :- प्राणी और मनुष्य :
अन्य प्राणियों की रचना करके फिर परमेश्वर ने कहा, हम मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार अपनी समानता में बनाएं, जो सर्व प्राणियों को काबू रखेगा। 
तब परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, अपने ही स्वरूप के अनुसार परमेश्वर ने उसको उत्पन्न किया, नर और नारी करके मनुष्यों की सृष्टि की।
प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज
वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, *(माँस खाना नहीं कहा है।)*


सातवां दिन :- विश्राम का दिन :
परमेश्वर ने छः दिन में सर्व सृष्टि की उत्पत्ति की तथा सातवें दिन विश्राम किया।
पवित्रा बाईबल ने सिद्ध कर दिया कि परमात्मा मानव सदृश शरीर में है, जिसने
छः दिन में सर्व सृष्टि की रचना की तथा फिर विश्राम किया।


 बाइबल कहती है कि पाप की सज़ा मृत्यु  है और वही पाप हमें परमेश्वर से अलग कर देता है।
  
 >>> और इन्हीं पापों से बचने के लिए हमें परमेश्वर के विधान पर चलना होगा जैसे दुनिया की रीत बनाई गई है लोगों द्वारा, उससे हटकर परमात्मा के नियमों पर चलना होगा तभी हम परमात्मा के प्रिय बन सकेंगे.... 

>>> परमात्मा के पूजा उपासना तथा भक्ति करके हम पाप का नाश कर सकते हैं एवं भीतर ही भीतर सभी मनुष्यों की अंतरात्मा भी यही कहते हैं कहती है की परमेश्वरी ही हमारा वास्तविक पिता है और वास्तविक पिता ही अपने प्रिय पुत्रों का ख्याल रख सकता है 

परमात्मा / परमेश्वर के विधान पर चलने वाले सही तरह से जिंदगी जीने के लिए अवश्य पढ़ें इस पुस्तक को ➡️
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